कौन थीं रानी कमलापति? जिनके नाम पर Habibganj Railway Station को मिला नया नाम

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Who was Rani Kamlapati
Who was Rani Kamlapati

हबीबगंज रेलवे स्टेशन (Habibganj Railway Station) का नाम बदलकर भोपाल (Bhopal) की आखिरी हिंदू रानी कमलापति (Rani Kamlapati) के नाम पर कर दिया गया है। यह रेलवे स्टेशन अब गौड़ समाज की स्थापना करने वाली रानी कमलापति के नाम से जाना जाएगा। रानी कमलापति ने गौड़ समाज के राजा सूरज (Suraj Gaur) गौड़ के बेटे निजाम शाह (Nizam Shah) से विवाह किया था। रानी की बहादुरी और सुंदरता की चर्चा पूरे नगर में हुआ करती थी। आखिर कौन थी भोपाल की रानी कमलापति जिनके नाम पर रेलवे स्टेशन का नाम रखा गया।

रानी का इतिहास

सतरावी शताब्दी में रानी कमलापति एक गौड़ कबीले के कियाराम नामक गौड़ की बहुत हसीन खूबसूरत लड़की थी। गौड़ राजा निज़ाम शाह ने उनकी सुन्दरता से मोहित होकर उन्हें अपनी रानी बना लिया। रानी कमलापति जिनकी सुन्दरता की कोई मिसाल नहीं थी वो अपने पति निजाम शाह के साथ किला गिन्नौर में रहती थी ।

एक बार राजा निज़ाम शाह गौड़ की लड़ाई चैनपुर बाड़ी के गौड़ राजा से हुई गौड़ राजा ने उन्हें जहर देने की साजिश रची। चैनपर के राजा ने निज़ाम शाह के रिश्तेदारो को मिला लिया और निज़ाम शाह को उनके ज़रिए ज़हर दे के मार डाला उस समय निज़ाम शाह का बहुत कम उम्र का एक बेटा नवलशाह रानी कमलापति से था

अपने पति निजाम शाह की मौत के बाद रानी कमलापति को अपने बेटे और खुद की चिंता सताने लगी। रानी ने गिन्नौर महल को छोड़ने का फैसला किया और भागर अपने बेटे नवलशाह के साथ भोपाल आ गईं। वे भोपाल में स्थित कमलापति महल में रहने लगी।

पति की मौत का लेना चाहती थीं बदला

रानी अपने पति के मौत का बदला लेना चाहती थीं लेकिन हालात को देखते हुए चुपचाप बैठ गईं।
उधर नवाब सरदार दोस्त मोहम्मद ख़ा एक अफगानी पठान मुल्क मालवा में अपनी तलवार की चमक दिखाते ओर अपनी वीरता का लोहा मनवाते हुए इस्लाम नगर ( भोपाल से 15 k.m. दूर ) को अपने क़ब्ज़े में कर के हुकूमत स्थापित कर चुके थे। उस समय उनकी बहादुरी साहस और ईमानदारी की चर्चा जोरों -शोरों पर थी।

रानी को जब सरदार दोस्त मोहम्मद ख़ा की बहादुरी और ईमानदारी की ख़बर मिली तो उनके मन में अपने पति की मौत का बदला लेने की भावना दोबारा जाग उठी उन्होंने सरदार दोस्त मोहम्मद ख़ा को मिलने अपने कमलापति महल बुलाया उन्होंने अपनी दुख भरी दास्तान सुनाई और अपने सुहाग का बदला लेने के लिए कुछ खर्चा देने के अनुबंध के साथ उनको ज़िम्मेदारी सौंपी।

मुस्लिम को बनाया भाई


रानी कमलापति की दास्तान सुन कर सरदार दोस्त मोहम्मद ख़ा भावुक हो उठे वह पूर्व से ही मैदाने -ए- जंग के माहिर तथा युद्ध स्थलों के शेर थे। उन्होंने अपनी मुंह बोली बहन के सुहाग का बदला लेने के लिए चैनपुर बाड़ी के राजा पर धावा बोल दिया उन्होंने अपनी वीरता के साथ राजा को हरा दिया और राखी के दिन अपनी बहन को उसका सर काटकर उपहार में दिया ।

उनकी इस बहादुरी और अपने सुहाग के बदले की आग बुझा कर रानी बहुत खुश हुई। ये भाई बहन का रिश्ता मरते दम तक चला लेकिन रानी अपने भाई से पर्दा करती थी। नवाब सरदार दोस्त मोहम्मद ख़ा ने भाई होने के नाते रानी से पर्दा ना करने को कहा लेकिन वो कभी सामने नहीं आई उस पर सरदार दोस्त मोहम्मद ख़ा ने अपनी मुंह बोली बहन रानी कमलापति को अपनी मां के रूप में माना।

रानी ने उनके ज़रिए दिए गए सम्मान का बहुत ही आदर किया और सरदार दोस्त मोहम्मद ख़ा ने भी उनकी मर्यादा का सम्मान करते हुए कभी पर्दा नहीं तोड़ा। पति का बदला लेने के बाद रानी की बहादुरी की चर्चा और बढ़ गई। इसी चर्चा ने रानी को इतिहास में जीवंत बना दिया।

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