सजायाफ्ता रामपाल Twitter पर टॉप ट्रेंड कर रहा है। ट्विटर पर यूजर्स ‘#आखिरकौनहै_मुक्तिदाता’ हैशटैग और ‘Sant Rampal Ji Maharaj’ के साथ ट्वीट कर रहे हैं। इसके साथ ही यूजर्स बता रहे हैं कि प्रसिद्ध फ्रेंच भविष्यवक्ता नास्त्रेदमस ने रामपाल के पैदा होने होने के बारे में भविष्यवाणी की थी।
आप जानते हैं कि कौन है यह सजायाफ्ता संत रामपाल ? रामपाल कथिततौर पर खुद को कबीर पंथी परांपरा का संत कहता था। रामपाल ने हरियाणा के हिसार में सतलोक आश्रम की स्थापना की। रामपाल को आर्य समाज के अनुयायी की हत्या के आरोप में साल 2014 को आजीवन कारावास की सजा दी गई थी और तब से वह हिसार जेल में बंद है।
रामपाल अदालत से हत्या के दो मामलों में उम्रकैद की सजा पा चुका है। अपने भक्तों को यह कथिततौर पर खुद को कबीर का अवतार भी कहता था। रामपाल का कहना था कि उसके अवतार लेने की भविष्यवाणी 450 साल पहले ही प्रसिद्ध फ्रेंच भविष्यवक्ता नास्त्रेदमस ने कर दी थी।
अपनी वेबसाइट जगतगुरुरामपालजी डॉट ऑर्ग (www.jagatgururampalji.org) में रामपाल इस तरह की बातों का दावा करता था। रामपाल ने अपनी वेबसाइट पर अपने अवतार के बारे में बहुत ही विस्तार से लिखा था।
अपनी वेबसाइट में उसने दावा किया था कि 17 फरवरी 1988 को फाल्गुन महीने की अमावस्या को रात में उसे संत रामपाल जी को नाम से दीक्षा मिली थी। उस समय उसकी उम्र 37 साल थी। रामपाल के भक्त 17 फरवरी को उसका आध्यात्मिक जन्मदिन मनाते हैं।
दरअसल नास्त्रेदमस ने सदियों पहले कहा था कि जिस समय उस तत्वदृष्टा संत का आध्यात्मिक जन्म होगा उस दिन अंधेरी अमावस्या होगी। उस समय उस विश्व नेता की आयु 16, 20, 25 वर्ष नहीं होगी, वह तरुण नहीं होगा, बल्कि वह प्रौढ़ होगा। वह 50 और 60 वर्ष के बीच की उम्र में संसार में प्रसिद्ध होगा। साल 2006 से उसकी प्रसिद्धी शुरू हो जाएगी। इन्हीं बातों के आधार पर रामपाल खुद को अवतार मानने लगा।
रामपाल की वेबसाइट में आगे लिखा है कि भले ही अंजानों ने झूठे आरोप लगाकर संत को बदनाम करने की कोशिश की हो लेकिन संत निर्दोष है। नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी को पढ़कर सोचा जा सकता है कि संत रामपाल अगर इतना बदनाम कर दिया गया है तो वो दुनिया को ज्ञान कैसे देंगे। लेकिन यह मत भूलिए कि पल में परिस्थितियां बदल सकती हैं। तब पूरा संसार संत रामपाल के ज्ञान का लोहा मानेगा।
रामपाल का जन्म सोनीपत के धनाना गांव में हुआ था। पढ़ाई पूरी करने के बाद रामपाल ने हरियाणा सरकार के सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर की नौकरी की। उस दौरान उसकी मुलाकात स्वामी रामदेवानंद महाराज से हुई। रामपाल उनका शिष्य बन गया और कबीर पंथ को मानने लगे। साल 2000 में रामपाल ने अभियंता के पद से इस्तीफा दे दिया और बाद में करोंथा गांव में सतलोक आश्रम की स्थापना की थी, हालांकि इनके गिरफ्तार होने के बाद आश्रम सरकार के कब्जे में है।
रामपाल ने साल 2006 में स्वामी दयानंद की किताब पर एक विवादित टिप्पणी की। जिसके बाद रामपाल और आर्यसमाज समाज के बीच हिंसक झड़प हुई थी। जिसमें एक शख्स की मौत हो गई थी। इसके बाद एसडीएम ने 13 जुलाई, 2006 को आश्रम को कब्जे में ले लिया। रामपाल और उनके 24 समर्थकों को गिरफ्तार कर लिया गया।
जब हरियाणा पुलिस ने गंभीरता से रामपाल के मामले में जांच की तो पता चला कि रामपाल के आश्रम में महिलाओं का यौन शोषण होता था। हरियाणा पुलिस ने रामपाल के कमरे से प्रेग्नेंसी टेस्ट किट भी बरामद की थी।
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