यूपी के हाथरस में गैंगरेप पीड़िता दलित युवती आखिर कार जिंदगी की जंग हार गई। दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में उसकी मौत हो गई है। चंदपा थाना क्षेत्र की रहने वाली दलित युवती के साथ 14 सितंबर को गैंगरेप की घटना हुई थी । गैंगरेप के बाद उसके ऊपर जानलेवा हमला किया गया था। अलीगढ़ के जेएन मेडिकल में भर्ती कराया गया पर हालत नाजुक होने पर कल ही उसे सफदरजंग रेफर किया गया था। सरकार दोषियों को त्वरित और कड़ी सजा दिलाने की बात कह चुकी है परंतु विपक्षी दलों के निशाने पर आ गई है। इस घटना ने लोगों को निर्भया कांड की याद दिला दी है।

देश की राजधानी दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 में भयानक रेप कांड हुआ था जिसने राजधानी पर बदनुमा दाग छोड़ दिए इसमे 6 आरोपी शामिल थे। कांड के बाद आरोपियों को पकड़ लिया गया उसमें से एक नाबालिग था तो उसे छोड़ दिया गया। एक आरोपी ने जेल में आत्महत्या कर ली बाकी के चार आरोपियों को 20 मार्च 2020 में फांसी हो गई।

सोशल मीडिया पर एक बार फिर लोग निर्भया को याद कर रहे हैं। वजह ये है कि देश में आए दिन एक नई निर्भया बन रही है।

आज उत्तरप्रेश के हाथरस गैंगरेप पीड़िता की मौत के बाद सोशल मीडिया यूजर्स निर्भया के तरह मनीषा के लिए इंसाफ की गुहार लगा रहे हैं। लोग #JusticeForManisha से हैशटैग भी चला रहे हैं साथ ही #RIPManishaValmiki भी ट्रेड कर रहा है। लोग सोशल मीडिया पर इस पीड़िता को मनीषा वाल्मिकी के नाम से संबोधित कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर कई लोग दावा कर रहे हैं कि मनीषा के साथ दरिंदों ने पहले बलात्कार किया फिर उनकी जीभ को काट दिया और रीड़ की हड्डी को तोड़ दिया।

गांव के ही चार दरिदों ने उसे एक खेत में खींचकर गैंग रेप का शिकार बना डाला और हमला करके उसे जान से मरने की कोशिश की गई। युवती गंभीर रूप से घायल हो गई। आनन-फानन में उसे अलीगढ़ के जेएन मेडिकल कॉलेज में भर्ती किया गया। हालत बिगड़ता देख उसे सफदरजंग रेफर किया गया, जहां उसकी मौत हो गई। युवती का शव शाम तक गांव लाया जाएगा। उसके बाद उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

निर्भयाकांड में भी दरिंदगी की सीमाएं पार कर दी गई थीं। 2012 दिसंबर की कड़कड़ाती ठंड में पैरामेडिकल की एक छात्रा अपने पुरूष दोस्त के साथ रात करीब 8 बजे फिल्म देख कर घर की तरफ जा रही थी। ठंड का समय होने के कारण इन्हें कोई गाड़ी नहीं मिली। कुछ समय बाद दोनों दोस्त एक प्राइवेट बस में बैठ गए। दोनों इस बात से अंजान थे कि इस में इंसान नहीं छह दरिंदे बैठें हैं। इसके बाद जो घटना हुई उसने पूरे देश को हिला दिया ।

रेप कांड के बाद राजधानी की सड़को पर लोग इंसाफ के लिए उतर गए। देश भर में प्रदर्शन हुआ। अंतर्राष्ट्रीय न्यूज पेपर पर बड़ी – बड़ी हेडलाइन बनी। भारत को महिलाओं के लिए असुरक्षित देश भी बताया गया। इतना सब होने के बाद लड़कियों को लगा की शायद कुछ बदलाव आए,शायद अब रात में डरना नहीं पड़ेगा। सरकार महिलाओं की सुरक्षा के लिए कोई कड़ा कदम उठाएगी।

Nirbhaya Kand

इसमें से कुछ भी नहीं हुआ। सरकार ने कई कानून बनाए फास्ट ट्रैक कोट भी बनाया पर हालत वही है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के 2014 के आंकड़ों के मुताबिक देश में हर एक घंटे में 4 रेप की वारदात होती हैं। यानी हर 14 मिनट में रेप की एक वारदात सामने आती है।

बहरहाल सरकारी प्रशासन और न्याय की देहरी से यूपी की इस निर्भया को भी देर सबेर न्याय तो मिल ही जाएगा। परंतु समाज में और कोई दूसरी निर्भया ना हो इसके लिए हम भी कम दोषी नहीं हैं। दोषी हमारे समाज का ही कोई ना कोई इंसान होता है। हमें वह मानसिकता बदलने की कोशिश करनी होगी जो लड़कियों को उपयोग की वस्तु समझता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here