World Pneumonia Day: हर साल निमोनिया से 2.5 मिलियन लोगों की हो जाती है मौत, ये है इस साल की थीम

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World Pneumonia Day: निमोनिया सांस संबंधी एक गंभीर संक्रामक बीमारी है। इस बीमारी के कारण वैश्विक स्तर पर हर साल 2.5 मिलियन वयस्कों और बच्चों की मौत हो जाती है। अकेले भारत में निमोनिया से हर साल 23 प्रतिशत लोगों की मौत हो जाती है।

World Pneumonia Day: निमोनिया सांस संबंधी एक गंभीर संक्रामक बीमारी है। इस बीमारी के कारण वैश्विक स्तर पर हर साल 2.5 मिलियन वयस्कों और बच्चों की मौत हो जाती है। अकेले भारत में निमोनिया से हर साल 23 प्रतिशत लोगों की मौत हो जाती है। 2018 में देश भर में 9,28,485 लोग निमोनिया से प्रभावित हुए थे। निमोनिया की रोकथाम और जागरूकता के लिए हर साल 12 नवंबर को वर्ल्ड निमोनिया डे मनाया जाता है, इस बार का थीम है, “स्टॉप निमोनिया -एवरी ब्रेथ काउंट्स” (Stop Pneumonia—Every Breath Counts)।

यह भारत में नवजात शिशुओं की मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। वायरस, बैक्टीरिया या फंगस से होने वाला निमोनिया एक या दोनों लंग्स (lungs) को प्रभावित करता है। इससे सांस लेना तकलीफदेह हो जाता है, क्योंकि ऑक्सीजन सीमित मात्रा में ही अंदर जाती है। बैक्टीरियल निमोनिया से सबसे ज्यादा स्ट्रेप्टोकोकस निमोनिया होता है।

समय पर इलाज से बच सकती है जान

इस रोग की पहचान और समय पर उपचार होने से जान बच सकती है, लेकिन अधिकतर मामलों में समय पर रोग की पहचान नहीं हो पाती। इससे बीमारी बढ़ जाता है और कई बार मौत तक हो जाती है। निमोनिया और सांस की नली में अन्य संक्रमण की पहचान के लिए स्पुटम कल्चर में 24 से 48 घंटे लग सकते हैं। इससे प्रभावी देखभाल और उपचार नहीं हो पाता।

तत्काल पता लगाने के लिए रैपिड टेस्ट उपयोगी

इस बीमारी का पता लगाने के लिए यूरिनरी रैपिड एंटीजेन टेस्ट जैसे परीक्षण किए जाते हैं, चिकित्सकों के पास रैपिड टेस्ट एक शक्तिशाली टूल है। इस जांच में बीमारी के बारे में जल्दी पता चल जाता है। वहीं क्लिनिकल सेटिंग में देखभाल मुहैया कराने वाले आसानी से थेराप्यूटिक रुख अपना सकते हैं। इससे मरीज जल्दी ठीक होता है, अस्पताल में रहने का समय कम होता है और मौत की आशंका कम होती है। ऐसे डायग्नोस्टिक समाधान ज्यादा संक्रमण की मौजूदगी वाली आबादी में खासतौर से उपयुक्त हो सकते हैं।

डॉ. राजेश स्वर्णकार, पल्मोनोलॉजिस्ट, सचिव, इंडियन चेस्ट सोसाइटी ने कहा, निमोनिया के कारण भारतीय आबादी पर अच्छा-खासा बोझ पड़ता है। इसलिए इंडियन चेस्ट सोसाइटी और नेशनल कॉलेज ऑफ चेस्ट फिजिशियंस (आईसीएस-एनसीसीपी) द्वारा स्थापित विशेष निमोनिया गाइडलाइन्स का पालन करने पर ध्यान दिया जाना चाहिए। इससे बीमारी का पता चल जाएगा और सही उपचार हो पाएगा।

निमोनिया डायग्नोकस्टिक इकोसिस्टम में एबॅट की भूमिका के बारे में एबॅट के रैपिड डायग्नोस्टिक बिजनेस के महाप्रबंधक सुनील मेहरा (Sunil mehra) ने कहा, रैपिड डायग्नोस्टिक जैसे 15 मिनट में परिणाम देने वाले यूरिनरी एंटीजन कार्ड के जरिए निमोनिया के मरीजों के लिए देखभाल की जाती है। उपयोग में आसान तकनीक से मरीज के इंतजार का समय तो कम होता ही है, प्रयोगशालाओं पर बोझ भी कम पड़ता है। इससे तत्काल प्रभावी उपचार होता है।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने जागरुकता के लिए SAANS की शुरूआत की

बच्चों में निमोनिया के कारण होने वाली मौत के मामलों को कम करने के उद्देश्य से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने निमोनिया को सफलतापूर्वक न्यूट्रलाइज करने के लिए सामाजिक जागरूकता और पहल, सोशल अवेयरनेस एंड ऐक्शंस टू न्यूट्रलाइज निमोनिया सक्सेकसफुली (SAANS) की शुरुआत की है। इससे महत्वपूर्ण संकेतों के आधार पर निमोनिया की जल्द पहचान हो जाती है।

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