आज देश के लिए गर्व और दुःख दोनों का दिन हैं। गर्व इसलिए क्योंकि आज ही के दिन 1 फरवरी 2003 को अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय महिला कल्पना चावला 360 घंटे अंतरिक्ष में बिताने के बाद वापस लौट रही थी और दुःख की बात ये है कि अंतरिक्ष से वापस लौटते वक्त आज ही के दिन उनकी मौत हो गई थी। 15 साल पहले, जब कल्पना अपने स्पेस शटल से धरती के कक्षा में प्रवेश कर रही थी, उसी वक्त उनका शटल नष्ट हो गया था। इस हादसे में कल्पना के साथ-साथ अन्य 7 अंतरिक्ष यात्रियों की भी मौत हो गई थी।
1.04 करोड़ मील का सफर तय
आज उनकी मौत को 15 साल बीत चुके हैं, लेकिन देश के लिए आज भी इस बात को स्वीकारना बेहद मुश्किल है कि देश की बहादुर अंतरिक्ष बेटी हमारे बीच नहीं रही। कल्पना को 1995 में नासा ने अंतरिक्ष यात्री के तौर पर शामिल किया था। पूरे देश के लिए गौरव का पल था, जब 1998 में कल्पना को पहली उड़ान के लिए चुना गया था। इस उड़ान में कल्पना ने 1.04 करोड़ मील का सफर तय किया और पृथ्वी की 252 परिक्रमाएं लगाईं।
इंजीनियरिंग से अंतरिक्ष तक का सफर
कल्पना का जन्म 17 मार्च 1962 में हरियाणा के करनाल में हुआ था। कल्पना ने नन्ही आंखों से ही अंतरिक्ष में जाने का सपना देख लिया था। वह अक्सर अपने पिता से कहा करती थी कि “मैं अंतरिक्ष के लिए ही बनी हूं, अंतरिक्ष के लिए जीऊँगी और अंतरिक्ष के लिए ही मरूंगी”। 1982 में कल्पना ने पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से ग्रेजुएशन पूरा किया था। जिसके बाद उन्होंने 1984 में अमेरिका के टेक्सस यूनिवर्सिटी से आगे की पढ़ाई पूरी की।
जश्न ऐसे बदला मातम में
जब 1 फरवरी 2003 को कल्पना चावला अपने अन्य साथियों के साथ अंतरिक्ष की सफल यात्रा से लौट रही थी। उस वक्त उनका अंतरिक्ष यान कोलंबिया शटल STS-107, 20 हजार किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से धरती की ओर बढ़ रहा था। पूरे देश की नजरें देश की बेटी के स्वागत के लिए बिछी हुई थी। लेकिन तभी अचानक कल्पना के यान का नासा से संपर्क टूट गया और अगले ही पल कल्पना का इंतज़ार की खुशी, मातम में बदल गई। कल्पना के यान का मलबा टैक्सस राज्य के डैलस इलाके में लगभग 160 किलोमीटर तक के क्षेत्र में फैल गया।