अक्सर सोशल मीडिया पर या किसी अखबार के पन्ने में जीरों बैलेंस वाला खाते का प्रचार दिख ही जाता है। आज कल जीरो बैलेंस खाते का चलन खूब बढ़ा है। बिना कोई पैसा दिए आसानी से बैंक अकाउंट खुल जाता है। इसलिए ग्राहक इस सुविधा को फायदेमंद समझते हैं। लेकिन स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआइ) समेत कई बैंक जीरो बैलेंस वाले यानी बेसिक सेविंग्स डिपॉजिट अकाउंट्स (बीएसबीडीए) से अपनी जेब भरने में लगे हैं। जीरो बैलेंस खाता के नाम पर अलग-अलग शुल्क लगा कर ग्रहकों से मोटी रकम वसूली जा रही है।
आइआइटी बांबे के एक अध्ययन में सामने आया है कि, जीरो बैलेंस खाता के नाम पर बैंक ग्राहकों से मोटी कमाई कर रह हैं। अध्ययन में विस्तार में बताया गया है कि,एसबीआइ महीने में चार डेबिट ट्रांजैक्शन के बाद हर ट्रांजैक्शन पर 17.70 रुपये वसूल रहा है। एसबीआइ ने अलग-अलग सेवाओं के नाम पर ऐसे खाताधारकों से 2015-20 के बीच 300 करोड़ रुपये ज्यादा की वसूली की है। पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) ऐसे 3.9 करोड़ खाताधारकों से 9.9 करोड़ रुपये की वसूली कर चुका है।आइआइटी बांबे के प्रोफेसर आशीष दास ने कहा कि सर्विस चार्ज के नाम पर एसबीआइ ने 2018-19 में 72 करोड़ रुपये और 2019-20 में 158 करोड़ रुपये की अच्छी खासी रकम वसूली।
आरबीआइ के दिशानिर्देशों का मखौल उड़ाते हुए एसबीआइ ऐसे खाताधारकों से एनईएफटी, आइएमपीएस और डेबिट कार्ड से मर्चेट पेमेंट जैसे डिजिटल ट्रांजैक्शन के लिए भी महीने के चार डेबिट ट्रांजैक्शन के बाद 17.70 रुपये का बड़ा शुल्क वसूल रहा है।अध्ययन में कहा गया।
अपने नियमों के अनुपालन पर निगरानी में रिजर्व बैंक की लापरवाही बैंकों को ऐसे शुल्क वसूलने के लिए प्रोत्साहित करती है। इसका एक उदाहरण हाल में सामने आया है। आइडीबीआइ बैंक का बोर्ड एनईएफटी, आइएमपीएस, यूपीआइ और डेबिट कार्ड से मर्चेट पेमेंट जैसे डिजिटल ट्रांजैक्शन पर 20 रुपये प्रति ट्रांजैक्शन के शुल्क को उचित मानता है। एटीएम से निकासी पर 40 रुपये का शुल्क लिया जा रहा है।
रिजर्व बैंक के दिशानिर्देश विभिन्न सेवाओं के लिए शुल्क तर्कसंगत रखने की बात कहते हैं, बावजूद इसके वर्षो से बैंक मनमानी वसूली कर रहे हैं। ऐसे मामलों पर निगरानी के लिए रिजर्व बैंक में कंज्यूमर एजुकेशन एंड प्रोटेक्शन डिपार्टमेंट और फाइनेंशियल इनक्लूजन एंड डेवलपमेंट डिपार्टमेंट जैसे दो विशेष विभाग भी हैं। इसके बाद भी बैंकों पर कोई नकेल नहीं है।
सरकार के निर्देश के बाद भी आरबीआइ शिथिलकेंद्र सरकार ने 30 अगस्त, 2020 को बैंकों को निर्देश दिया था कि पहली जनवरी, 2020 के बाद से यूपीआइ, भीम यूपीआइ और रुपे डिजिटल पेमेंट पर वसूली गई राशि खाताधारकों को लौटाएं। इसके बाद भी रिजर्व बैंक की ओर से कुछ खास सतर्कता इस दिशा में नहीं दिखी है। एसबीआइ अब भी यूपीआइ, भीम यूपीआइ और रुपे डिजिटल के अलावा अन्य डिजिटल डेबिट ट्रांजैक्शन पर अब भी 17.70 रुपये की वसूली कर रहा है।