Jammu and Kashmir के राजौरी (Rajouri) जिले में शनिवार को एक इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) विस्फोट में शहीद हुए लेफ्टिनेंट ऋषि कुमार (Rishi Kumar) का पार्थिव शरीर बिहार पहुंच गया। शहीद को अंतिम सलामी देने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी है। आम से लेकर खास तक शहीद को अंतिम बार देखना चाहते हैं।
बेगूसराय पहुंचकर बिहार सरकार में मंत्री शहनावज हुसैन ने उनके पार्थिव शरीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया। Shahnawaz Hussain ने ट्वीट किया, ”जम्मू-कश्मीर के नौशेरा में शहीद बेगूसराय के लेफ्टिनेंट ऋषि रंजन सिंह के पार्थिव शरीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। मात्र 23 की उम्र में ऋषि ने शहादत दी है। बेगूसराय के जीडी कॉलेज में बिहार के लाल को सलाम पेश करते हुए पिता और परिवार से मिलकर संवेदना व्यक्त की।”
पटना एयरपोर्ट पर रविवार को शहीद लेफ्टिनेंट ॠषि रंजन के पार्थिव शरीर को बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने भी श्रद्धांजलि दी।
लेफ्टिनेंट ऋषि कुमार की शहादत के बाद मां बेहोश हुई
बिहार के लाल लेफ्टिनेंट ऋषि कुमार की शहादत शनिवार को तब हुई जब सीमा पार से आतंकवादियों की घुसपैठ को रोकने के लिए सेना की एक टुकड़ी ड्यूटी पर थी। उनकी मौत की खबर जैसे ही बिहार के बेगूसराय में उनके घर और कॉलोनी में पहुंची तो उनके परिवार के सदस्य समेत अन्य सभी निवासी सदमे में आ गए। उनकी मां सरिता देवी बेहोश हो गईं और पिता राजीव रंजन सिंह निशब्द हो गए। परिवार के सदस्यों को मोहल्ले के लोगों ने संभाला।
मां से छठ पूजा के लिए घर आने का किया था वादा
अपनी मौत से कुछ तीन पहले 27 अक्टूबर को उन्होंने अपनी मां सरिता से फोन पर बात की थी और मां से छठ पूजा के लिए घर आने का वादा किया था। हालांकि एक दिन बाद उन्होंने अपनी मां से बताया कि उनकी छुट्टी 22 नवंबर को पुनर्निर्धारित की गई है।
लेफ्टिनेंट ऋषि कुमार के एक पड़ोसी विकास वैभव ने एक समाचार संस्थान को बताया कि ऋषि कुमार 2020 में भारतीय सेना की 17 सिख इन्फैंट्री में शामिल हुए थे और दो महीने पहले ही वो जम्मू-कश्मीर में तैनात हुए थे। उनके परिवार उनकी दो बहनें हैं और बड़ी बहन भी सेना में हैं। 29 नवंबर को उनकी छोटी बहन की शादी तय हुई थी।
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